🔯सांख्य का सत्कार्यवाद या परिणामवाद?🚩

🔯सांख्य का सत्कार्यवाद या परिणामवाद?🚩 श्रीराम! वेदान्त विचार में सबसे अधिक निकटतम व उपकारी दर्शन सांख्य दर्शन है।अतः आज साङ्ख्य विषयक सामान्य रूपसे कुछ प्रस्तुति की जाती है । महाभारत भागवत आदि में प्रतिपादित सेश्वर साङ्ख्य दर्शन भिन्न है, और आजका आधुनिक निरीश्वर साङ्ख्य दर्शन भिन्न है। ब्रह्मसूत्र में सभी वेदान्ती आचार्यों ने जिस साङ्ख्य का खण्डन किया है, वह आधुनिक साङ्ख्यकारिका विषयक या विंध्यवासी आचार्य के मतों को लेकर ही है, महाभारत आदि प्रोक्त साङ्ख्य का नहीं। साङ्ख्य-योग दोनों को लेकर एक शास्त्रता होती है। इन दोनों के अनुसार — हिम(बर्फ) कुण्डल , दधि आदि कार्य क्रमशः जल दूध आदि उपादानों के परिणाम (अवस्थाविशेष) ही हैं। जल आदि कारण हिम आदि में अनुस्यूत रहते हैं" यह प्रत्यक्ष सिद्ध है। जल आदि कारणों को हटा लेने पर कार्य की कोई अतिरिक्त सत्ता सिद्ध नहीं होती। तिल से ही तैल निकलता है, बालू (रेत)से नहीं।दूध से ही घृत निकलता है, पानी से नहीं। इन उदाह...